America (Full History) अमेरिका का इतिहास (USA)

आज दुनिया के सबसे विकसित देश की बात निकले तो अमेरिका का नाम जूबा पर आही जाता है। लेकिन इस देश के असली इतिहास के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। आज हम बात करेगे अमेरिका के उस इतिहास की जो आप साइद न जानते हो। आए जानते हैं अमेरिका के जनम से लेकर अब तक का इतिहास। बात है करीब 27,000 साल पुरानी। तब पृत्वी के पस्चिम छोर पे एक बहुत बड़ा महाध्वीप मौजूद था। जिस पर आज अमेरिका, कैनेडा और मेक्सिको का कुछ भाग बसा हुआ है। लेकिन 27,000 साल पहले इस महाखंड का कोई नाम नहीं था। वह सिर्फ एक बहुत बड़ी बुमी थी जिस पर कई प्राणी और पक्सियों का बसेरा था। लेकिन इंसान एक भी मौजूद नहीं था। तो सवाल है आखिर इतने बड़े महाधुइब पे इंसान आया कहां से। दोस्तो 27,000 साल पहले पृत्वी के वातावरन में कुछ बदलाव आये। जिसके कारण धर्ती के उत्तरी पाग में लगु हिम्यूग की शुरुआत हुई। तब एसिया, आफ्रिका और यूरोप में कुछ बस्तियों का बसेरा था और आज का रसिया का साइबेरिया विस्तार जो बेहत थंडा है वो थोड़ा घर्म हुआ करता था और वहाँ पर मॉंगोलोइड प्रजाति के आदिवासियों का बसे रहा था। मॉंगलोइड के वो वन्शच हमेशा खौराक की तलास में यहां से वहां स्थलान्तर कर किसी तरह अपने आप को जीवित रखे हुए थे। लेकिन 27,000 साल पहले आये उस लगुहेम यूग के कारण उन आदिवासियों का जीवन खत्रे में आ गया। और वो साइबेरिया प्रदेश का मत्यभाग छोड़ कर धीरे धीरे पूर्व रशिया की और स्थलान्तर करने लगे। छोड़कर धीरे धीरे पूर्व रशिया की और स्थलांतर करने लगे। ये वो दौर था जब साइबेरिया में मैमत चाती के हाथे भी बसे हुए थे। लेकिन पुर्थ्वी के वातावरण के इस फेरफार के कारण उन मैमतों का भी खात्मा हो गया। लेकिन मॉंगलोइड आतिवासियों के वो वनसच किसी तरह अपने आप को बचा कर पूर्व रशिया की और चले गए। बचाकर पूरो और रसिया की और चले गए। अगर आज हम अमेरिका और रसिया के बीच में देखें तो कोई भी भूमी भाग नजर नहीं आता। इन देनों देशों के बीच बेरिंग नाम का समुद्र है जो अमेरिका और रसिया को अलग करता है। लेकिन अमेरिका और रसिया के बीच में इस बेरिंग नाम के समुद्र में कई चोटे चोोटे टापूओं की शुरुंखला है 27,000 साल पहले जब लगुहीम युग की शुरुआत हुई तब इन छोटे-छोटे टापूओं के बीच समुद्र में ठोष रूप से बर्ब जमा हो गई और अब यह दोनों देश बर्फ की चादर के जरिए एक हो गए यहां पर जीवन का संगर्ष कर रहे रसिया के पूर्व किनारे पर जो मॉंगलोईड आदिवासी इखठा हुए थे वो इस बेरिंग समुत्र के बीच के बर्फ के पूल को पार कर अमेरिका के पस्चिम छोर पे आ गए जहां उनको एक नई ही भूमी देखने को मिली। 27,000 साल पहले वो आदिवासी आज के अलासका और कैनेडा कहे जाने वाले विस्तार में फैल गए लेकिन ठंड मौसम का प्रकोप तो वहाँ पर भी वैसा ही था जैसा वो साइबेरिया में देख कर आये थे जीवन से जूचते हुए वो आदिवासी धीरे धीरे दक्षीन की और बढ़ने लगे और थोड़ा और आगे बढ़ने से उनको एक नई ही दुनिया दिखाई दी जो बेहत खुबसूरत थी चारो और बड़े बड़े मैदान थे हरियाली धरती थी और वातावरन भी थोड़ा गर्म था और ये वही भूमी है जिसे आज हम अमेरिका कहते हैं। आदिवासियों को ये नई जगह पसंद आ गई, इस नई दुनिया में पोजन और रहने लाएक जगह भी मुहय्या हो गई और वो लोग यही बस गए। सदियों बाद धीरे धीरे हीम्यूग खतम हुआ और रशिया और अमेरिका के बीच बेरिंग के समुत्र में कुछ समय से बना वो बर्फ का पूल भी पानी में विसरजित हो गया और अब फिर से अमेरिका और रशिया अलग-अलग देश बन �च अमेरिका में हजारों सालों बाद फुलने फलने लगे थे। उनका वतन अब अमेरिका था और वो अपना जीवन खुशी से जी रहे थे। लेकिन उनकी खुशियों को ग्रहन सन 1492 में लगा जब यूरोप के एक सागर खेडू क्रिष्टोफर कोलंबस ने उन्हें खोज लिया। इस्टोफर कोलंबस की अगर बात करे तो वो वास्तव में अमेडिका नहीं लेकिन भारत की खोज में था और भारत को उस वक्त यूरोप में इंडिया कहा जाता था। ऐसा नहीं था कि यूरोप के लोग इंडिया के बारे में जानते ही नहीं थे क्योंकि वो जानते थे इसलिए इंडिया की खोज में अपना व्यापार करने जाते थे और यूरोप के भी कई व्यापारी भारत और एसिया में आते थे और क्योंकि उस वक्त भारत को सोने की चिफ्रिका खंड को क्रॉस ही नहीं कर पा रहे थे। और इतने बड़ी खंड की भूमी खत्म ना होने के कारण उन्होंने आफ्रिका को अनंतमान लिया था। इसलिए कोलंबस ने सोचा कि भारत विपरित दिशा में होगा। और वो महीनों तक उत्तर एट्लांटिक महासागर की पस्चिम दिशा की और सफर करता रहा। और वो 12 ओक्टॉमबर 1492 के दिन अमेरिका खंड के बहामास के किनारे पहुचा। जब कोलंबस बहामा उत्रा तब उसने वहाँ लाल चमड़ी वाले आदिवासी लोगों को देखा। और क्योंकि वो इंडिया की तलास में था उसने उन लोगों को रेड इंडियन नाम दे दिया। इन वन्सजों के लिए बिल्कुल ही गलत था। अमेरिका में अपना सांत जीवन जी रहे ये आदिवासी को तो ये भी नहीं पता था कि कही और भी दुनिया में इंसानी बस्तियों का बसेरा है। वो लोग तो बस अमेरिका की पुरिष्ट भुमी को ही अपने दुनिया मानते थे और हचारो किलो मीटर दूर से आया कोलंबस उनके लिए एक एलियन के समान था। मूल अमेरिकन आदिवासी बहुत ही भोले बाले थे वो कोलंबस को देख कर पहले तो डर गए लेकिन कोलंबस बहुत ही चतूर, चालाक और निर्दई इंसान था उसने कुछ भेट सौगात देकर इन आदिवासियों को बहला दिया और कुछ महिनों बाद जब वो अपने देश स्पेन वापस गया तो उसने इन में से छे आदिवासियों को धोके से बंदी बना कर अपने साथ जहाज में ले लिया ताकि वो स्पेन में जाकर ये प्रूव कर सके कि उसने इंडिया की खोज की है कुलंबस जब वापस स्पेन गया तो स्पेन की राणी इसाबुला के सामने बंदी हालत में और चंजीर से जक्रे हुए इन छे आदिवासियों को पेस किया गया और कहा कि उसने इंडिया की खोज कर ली है हाला कि ये छे आदिवासी अपनी दुनिया से हचारों किलोमीटर दूर किसी और दुनिया में आ गये थे और वापस जाने की कोई गुणजाईस भी नहीं थी। कोलंबस दूसरे ही साल वापस 40 जहाजों के साथ अपनी खोजी हुई उस नई भूमी पर गया और इस बार वहां से लगबग 300 आदिवासियों को बंदी बना लिया और वो वापस आते वक्त स्पेन ले आया और रानी के सामने प्रस्तूत किया। रानी को कहा के आप इन्हें गुलाम बना कर रखिये। इन भोले बाले आदिवासियों को देखकर रानी का मन पिकल गया और उन्होंने कोलंबस को ये फर्मान किया के इनको गुलाम नहीं बनाया जाएगा और कहा के तुम्हें अगली बार वापसे इन आदिवासियों को छोड़ना पड़ा लेकिन वहाँ पर भी आदिवासियों का इस्तमाल करने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कोलंबस इन आदिवासियों को घवार मानता था तो अब दोस्तो आप ही सोचिए हम इस कोलंबस को क्या मानें। खेर यूरोप में ये बात फैल गई कि कोलंबस ने भारत का समुद्री मार ठोन लिया है लेकिन पांच साल बाद ये अफ़वा गलत साबित होने वाली थी। क्यूंकि वासको दे गामा ने काली कट बंदर पे आकर इंडिया की खोज कर ली। और यूरोप में सब को पता जला के कोलंबस कितना गलत था। यहाँ पर यूरोप के रूलरों को लगा के पॉल्टुगीज ने अब इंडिया को खोज लिया है। इसलिए उन्हें अब कोलंबस ने ढूंढी नई धर्ती पर जाकर अपनी कॉलोनीज बनानी चाहिए और अपने देश का विस्तार करना चाहिए और अमेरिका की उस धर्ती पर राज करने के लिए स्पेन और फ्रांस जैसे यूरोपी देशों में होड मच गई और सालों तक यूरोप के लोग और ज्यादातर स्पेनीज अमेरिका की उस धर्ती पर आते रहे की उस धर्ती पर आते रहे यहां पर यूरोपियन लोगों का अमेरिका में बसेरा होते ही उन बिचारे भोले पारे अमेरिकन मूल आदिवासियों की जिन्द की नर्क बन गई यूरोपियन लोग किसी भी तरह उनको खदेडना चाहते थे और खुद उस भुमी पर कब्जा करना चाहते थे कई आदिवासियों को उन्होंने मार डाला और कई आदिवासियों को गुलाम बना दिया अमेरिकी आदिवासियों और कई आदिवासियों को गुलाम बना दिया। अमेरिकी आदिवासियों और यूरोपियनों का सालों तक संकर्ष चारी रहा और कई साल बाद आदिवासियों का अस्तित्वही खत्म होने की गगार पर आ गया। कुछ समय बाद अमेरिका में ब्रिटिश लोग भी गए और अमेरिका को अपनी कॉलोनी बना दिया। अमेरिका में जब ब्रिटिश राज आया उससे पहले तो कई और यूरोपियन अमेरिका में बस चुके थे और अमेरिका में बसे उन यूरोपियनों ने 4 चुलाई 1776 के दिन अमेरिका को ब्रिटन से आजाद कराया और जर्ज वैशिंग्टन पहले राष्ट्रपति बने कि उसके बाद अमेरिका में गोरों और कालों के बीच भी कई सिविल वॉर हुए और कई लड़ाईयां लड़ी गई और उदर मूल अमेरिकी आदिवासी रेड इंडियन्स का भी खात्मा होता गया। अभी तक अमेरिका कोई विकसित देश नहीं हुआ था। अमेरिका के इतने विकसित देश बनने की भी एक छोटी सी दास्ता है। हुआ यू की 20 में सदी की शुरुवात में जब पहला विश्वयूत शुरु हुआ तब तक तो दुनिया की एक ही महासत्ता थी ब्रिटन और ब्रिटन का सिक्का पूरे दुनिया में चलता था लेकिन पहले विश्वयूत के बाद ब्रिटन की इकोनॉमी को बहुत बड़ा फटका पड़ा और यूरोप में जर्मनी, फ्रांस और कई देशों को बड़ा नुकसान पुकतना पड़ा इसके चलते यूरोप में कई मिले, फैक्टरिया और कारखाने बंद हो गए और यूरोप के जो उद्योग चान चू रहे थे उनका पहले विश्वयूत के अंत के साथ ही अंत हो गया और इस परिस्थिति का पूरा फाइदा अमेरिका ने उठाया। पहले विश्वईत के बाद अमेरिका में कई सारे उत्योग धन्दे सुरू हुए और जिस माल की खपत यूरोप में थी वो अमेरिका प्रोवाइड करने लगा। अमेरिका की फैक्टरियों का माल पूरे यूरोप और आफ्रिका में जाने लगा और अमेरिका कुछ ही सालों में अतिधनिक देश बन गया धीरे धीरे अमेरिकन सरकार ने दूसरे देशों के बुद्धी चीवी लोगों को भी वैलकम करना शुरू किया इस माहिती और प्रशार के यूग में उन्हें ये भी पता था कि रेड इंडियन के खातमे की बात कभी न कभी तो सामने आनी ही है इसलिए उन्होंने मरने की कगार पे आ गई रेड इंडियन जाती के बचाव और पुरन उठान के लिए नई नीतियों का गठन किया और रेड इंडियन को आरक्षन और कई आरक्षित जमीने दी गई लेकिन तब तक तो बहुत देर हो चुकी थी आज पूरे अमेरिका में वहां के मूल निवासी रेड इंडियन की प्रजा कुल आबादी के 0.05 टका ही रह गई है और नववैन में प्रतिसक से भी ज़्यादा लोग अमेरिका के बाहर से आये हुए हैं। खेर प्रथम विश्वविद के बाद अमेरिका का सूर्यो दै हुआ और अमेरिका दुनिया की सर्वच्च महासत्ता बन गया। आज अमेरिका से विकसित दुनिया में कोई दूसरा देश नहीं है। लेकिन कहते हैं ना के जो चड़ता है वो पढ़ता है और एक ना एक दिन हर सूर्य ज�न का शूर्य अस्त होने की कगार पर है और अब देखना यह है कि अमेरिका का क्या हाल होता है और भविष्य में उसकी जगह कौन लेता है। तो दोस्तों आज के लिए इतना ही आगे हम फिर हाजिर होगे भारत के इतिहास के साथ। अगर आप नए हैं तो हमारे चैनल द नॉलेज को सब्सक्राइब चरूर कीजे और अगर वीडियो पसंद है तो लाइक करना न पुलियेगा आपका दिन शुब और मंगल कारी हो टेक केर

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