हाल ही में एक मशहूर पॉडकास्ट होस्ट लेक्स फ्रिडमैन (Lex Fridman) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का इंटरव्यू लिया, जिसमें जीवन और मृत्यु (Life and Death) पर हुई बातचीत ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। इंटरव्यू के दौरान लेक्स ने पीएम मोदी से एक सीधा और गहरा सवाल किया, जिसका जवाब पीएम मोदी ने बड़ी ही सहजता और गहराई से दिया। यह बातचीत न सिर्फ मज़ेदार थी, बल्कि इसमें जीवन का एक गहरा संदेश भी छुपा था।
लेक्स फ्रिडमैन का सवाल
इंटरव्यू के दौरान लेक्स फ्रिडमैन ने पीएम मोदी से पूछा:
"Are you afraid of death?"
(क्या आपको मृत्यु का डर है?)
इस सवाल को सुनते ही पीएम मोदी ज़ोर से हँसने लगे। उनका हँसना किसी हल्के पल का संकेत नहीं था, बल्कि इसमें जीवन के प्रति उनका गहरा दृष्टिकोण झलक रहा था।
पीएम मोदी का जवाब
हँसते हुए पीएम मोदी ने बड़ी ही शांति से कहा:
"Can I ask you a question instead?"
(क्या मैं आपको एक सवाल पूछ सकता हूँ?)
लेक्स फ्रिडमैन ने तुरंत जवाब दिया:
"Sure."
(ज़रूर।)
इसके बाद पीएम मोदी ने जो सवाल पूछा, उसने इंटरव्यू का पूरा माहौल बदल दिया:
"Life and death are two sides of a coin, but which of the two is more certain?"
(जीवन और मृत्यु सिक्के के दो पहलू हैं, लेकिन इनमें से कौन-सा अधिक निश्चित है?)
लेक्स फ्रिडमैन ने बिना सोचे-समझे तुरंत जवाब दिया:
"Death."
(मृत्यु।)
पीएम मोदी मुस्कुराए और बोले:
"Exactly. Life itself is a whispered promise of death. It is inevitable and there’s no use worrying about when it will arrive."
(बिल्कुल सही। जीवन स्वयं मृत्यु का एक मूक वादा है। यह अपरिहार्य है और इसके कब आने की चिंता करने का कोई मतलब नहीं है।)
जीवन और मृत्यु की सच्चाई
पीएम मोदी ने इस जवाब के ज़रिए जीवन और मृत्यु के बीच के गहरे संबंध को सरल शब्दों में समझाया। जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिस तरह दिन के बाद रात और रात के बाद दिन का आना निश्चित है, उसी तरह जीवन के बाद मृत्यु आना भी निश्चित है।
उनके शब्दों ने जीवन के प्रति उनके संतुलित दृष्टिकोण को उजागर किया। उनका मानना है कि मृत्यु से डरने के बजाय जीवन को पूर्ण रूप से जीना चाहिए। जब मृत्यु निश्चित ही है, तो उसके आने की चिंता करने का कोई अर्थ नहीं है। बल्कि, हमें अपने जीवन को सार्थक और खुशहाल बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
मृत्यु का डर क्यों बेकार है?
पीएम मोदी का संदेश था कि मृत्यु एक स्वाभाविक सत्य है। इससे डरने के बजाय जीवन में हर पल को पूरी तरह से जीना चाहिए। उन्होंने इशारा किया कि मृत्यु के बारे में सोच-सोचकर जीवन के आनंद को खत्म करना व्यर्थ है।
"जब मृत्यु आनी ही है, तो उससे डरना क्यों?"
उनका यह कथन जीवन के प्रति उनके सकारात्मक रवैये को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इंसान को हर परिस्थिति को स्वीकार करना चाहिए और जीवन को एक उपहार की तरह देखना चाहिए।
इस बातचीत से क्या सीख मिलती है?
पीएम मोदी के इस जवाब से हमें ये सीख मिलती है कि:
✅ मृत्यु से डरने के बजाय जीवन को पूरी तरह से जीना चाहिए।
✅ जीवन में संतुलन और शांति बनाए रखना ज़रूरी है।
✅ मृत्यु एक सच्चाई है, जिसे टाला नहीं जा सकता।
✅ जीवन को सार्थक बनाने के लिए सकारात्मक सोच जरूरी है।
निष्कर्ष
लेक्स फ्रिडमैन के इस इंटरव्यू से न सिर्फ पीएम मोदी के जीवन के प्रति दृष्टिकोण की झलक मिलती है, बल्कि हमें भी जीवन के प्रति एक नई सोच मिलती है। मृत्यु से डरने के बजाय हमें हर पल को पूरी तरह जीने का प्रयास करना चाहिए। जब मृत्यु निश्चित है, तो उसके बारे में सोचकर जीवन के आनंद को खत्म करने का कोई मतलब नहीं है। पीएम मोदी का यह विचार एक गहरी सीख है, जो हर किसी के जीवन में बदलाव ला सकता है।