भारत की जीडीपी ने Q4 FY25 में 7.8% की वृद्धि दर्ज की, मजबूत विनिर्माण और निर्यात के चलते आर्थिक स्थिरता की उम्मीद

भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ने वित्तीय वर्ष 2024–25 की चौथी तिमाही (Q4 FY25) में 7.8% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। यह आंकड़ा भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और औद्योगिक प्रदर्शन को दर्शाता है, जिससे देश एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है। इस वृद्धि के पीछे मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र की मजबूती, निर्यात में उछाल और स्थिर घरेलू मांग प्रमुख कारक रहे हैं।

वृद्धि के मुख्य कारण

Q4 FY25 में 7.8% की जीडीपी वृद्धि को जिन मुख्य कारकों ने बल दिया, वे निम्नलिखित हैं:

1. मजबूत विनिर्माण प्रदर्शन

विनिर्माण क्षेत्र ने चौथी तिमाही में 9.2% की वृद्धि दर्ज की। यह वृद्धि उत्पादन क्षमता में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और घरेलू व वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता मांग में वृद्धि के कारण हुई है। सरकार द्वारा शुरू की गई उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना और व्यापार नीतियों को आसान बनाने के प्रयासों ने कारखानों के उत्पादन और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है।

2. निर्यात में उछाल

भारत के निर्यात क्षेत्र ने Q4 में 12.4% की वृद्धि दर्ज की। अमेरिका, यूरोपीय संघ और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे प्रमुख बाजारों में भारतीय वस्तुओं की मांग में तेजी आई। विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स, वस्त्र और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में निर्यात में वृद्धि देखी गई। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के अवमूल्यन ने भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया।

3. मजबूत घरेलू खपत

घरेलू खपत, जो भारत की जीडीपी में लगभग 60% का योगदान करती है, में 7.1% की वृद्धि हुई। उपभोक्ताओं के आत्मविश्वास में सुधार, आय में वृद्धि और रोजगार के नए अवसरों ने उपभोक्ता वस्तुओं, ऑटोमोबाइल और आवास क्षेत्र में खर्च को प्रोत्साहित किया। सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से खुदरा और आतिथ्य उद्योग (हॉस्पिटैलिटी), ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।

4. सरकारी व्यय और बुनियादी ढांचे का विकास

सरकार ने बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) पर बड़े पैमाने पर खर्च किया। सड़कें, राजमार्ग, रेलवे और बंदरगाहों के निर्माण में निवेश ने आर्थिक गतिविधियों को तेज किया। सरकार का पूंजीगत व्यय Q4 में 18.5% बढ़ा, जिससे रोजगार के नए अवसर बने और आर्थिक गतिविधियों को बल मिला।

5. कृषि क्षेत्र में स्थिरता

कुछ मौसम संबंधी समस्याओं के बावजूद कृषि क्षेत्र ने 3.4% की स्थिर वृद्धि दर्ज की। बेहतर सिंचाई सुविधाएं, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि और सरकारी सब्सिडी ने कृषि उत्पादन को स्थिर बनाए रखने में मदद की।


क्षेत्रवार प्रदर्शन


मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति

चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लक्षित सीमा (4%–6%) के भीतर रही। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति औसतन 4.8% रही, जो पिछली तिमाही के 5.2% से कम थी। इसका मुख्य कारण खाद्य आपूर्ति में सुधार और ईंधन की कीमतों में स्थिरता रहा।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट 6.5% पर स्थिर रखा, ताकि विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बना रहे। आरबीआई ने संकेत दिया है कि वह वैश्विक आर्थिक स्थितियों और घरेलू मांग के रुझान पर नजर बनाए रखेगा और आवश्यकता अनुसार मौद्रिक नीति में बदलाव करेगा।


वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक दृष्टिकोण

विशेषज्ञों को विश्वास है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले वित्तीय वर्ष (FY26) में भी 7%–7.2% की दर से आगे बढ़ेगी। इसके पीछे मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण होंगे:
✅ स्थिर घरेलू मांग
✅ निर्यात में निरंतर वृद्धि
✅ सरकारी बुनियादी ढांचे पर खर्च
✅ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में सुधार

हालांकि, कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं जैसे:

  • भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions)
  • वैश्विक तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव
  • विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सख्त मौद्रिक नीतियां (Tightening Monetary Policies)

वैश्विक तुलना

भारत की 7.8% की वृद्धि दर ने प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: 2.9%
  • यूरो जोन: 1.5%
  • चीन: 4.9%

भारत की वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आर्थिक मजबूती दर्शाती है कि भारत तेजी से एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है।


निष्कर्ष

Q4 FY25 में भारत की 7.8% की जीडीपी वृद्धि से यह स्पष्ट होता है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत विनिर्माण, निर्यात और स्थिर घरेलू मांग के चलते आगे बढ़ रही है। सरकारी समर्थन, बुनियादी ढांचे के विकास और उपभोक्ता बाजार की मजबूती के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था अगले कुछ वर्षों में भी मजबूती से आगे बढ़ने की स्थिति में है। वैश्विक जोखिमों के बावजूद, भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है, जिससे यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनी रहेगी।

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